à¤à¤• बà¥à¥à¤¿à¤¯à¤¾ थी। उसका à¤à¤• ही बेटा था। वह हमेशा यही सपने देखती थी कि उसके बेटे का विवाह होगा तो बेटा और बहू दोनों मिलकर उसकी बहà¥à¤¤ सेवा करेंगे और उसे घर का à¤à¥€ काम नहीं करना पड़ेगा। धीरे-धीरे वह दादी बन जाà¤à¤—ी और उसका घर सà¥à¤µà¤°à¥à¤— बन जाà¤à¤—ा।
आखिर वह दिन à¤à¥€ आ गया जब बà¥à¥à¤¿à¤¯à¤¾ के बेटे का विवाह बड़ी धूमधाम से हà¥à¤†à¥¤ वह दादी à¤à¥€ बन गई लेकिन संयोग से उसका कोई à¤à¥€ सपना पूरा नहीं हà¥à¤†à¥¤ बà¥à¥à¤¿à¤¯à¤¾ का बेटा तो सà¥à¤¬à¤¹ काम पर चला जाता और पोता सà¥à¤•à¥‚ल चला जाता, तब बहू उसके साथ बहà¥à¤¤ बà¥à¤°à¤¾ वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° करती। बहू बà¥à¥à¤¿à¤¯à¤¾ से घर में à¤à¤¾à¥œà¥‚ लगवाती, à¤à¥‚ठे बरà¥à¤¤à¤¨ साफ़ करवाती और टूटे-फूटे बरà¥à¤¤à¤¨à¥‹à¤‚ में उसे à¤à¥‹à¤œà¤¨ देती।
शà¥à¤°à¥‚ में तो बहू अपने पति और बेटे के पीछे ही बà¥à¥à¤¿à¤¯à¤¾ से à¤à¤—ड़ती थी, लेकिन धीरे-धीरे वह अपने पति के सामने à¤à¥€ बà¥à¥à¤¿à¤¯à¤¾ का अपमान करने लगी। à¤à¤• दिन टूटे बरà¥à¤¤à¤¨à¥‹à¤‚ में बà¥à¥à¤¿à¤¯à¤¾ को à¤à¥‹à¤œà¤¨ करते देखकर उसके बेटे को बहà¥à¤¤ दà¥à¤ƒà¤– हà¥à¤†à¥¤ उसने अपनी माठका पकà¥à¤· लेते हà¥à¤ अपनी पतà¥à¤¨à¥€ को बहà¥à¤¤ डांटा। पति-पतà¥à¤¨à¥€ दोनों में बहà¥à¤¤ कहा-सà¥à¤¨à¥€ हो गई। धीरे-धीरे बà¥à¥à¤¿à¤¯à¤¾ के बेटे ने à¤à¥€ पतà¥à¤¨à¥€ का विरोध करना छोड़ दिया।
धीरे-धीरे पोता बड़ा होने लगा तो वह अपनी माठका विरोध करने लगा। वह अपनी दादी से बहà¥à¤¤ पà¥à¤¯à¤¾à¤° करता था। अपनी दादी पर माठदà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ किठगठअतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥‹à¤‚ को देखकर उसे बहà¥à¤¤ दà¥à¤ƒà¤– होता था। उसे अपनी दादी से हमदरà¥à¤¦à¥€ और सहानà¥à¤à¥‚ति थी। अपनी माठके डर से वह दादी की कà¥à¤› à¤à¥€ मदद नहीं करता था। धीरे-धीरे पोता बड़ा हो गया और उसका विवाह à¤à¥€ हो गया।
पोते की नई बहू छिप-छिपकर अपनी दादी-सास पर होते अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥‹à¤‚ को चà¥à¤ªà¤šà¤¾à¤ª देखती रहती थी। लेकिन पतोहू को बà¥à¥à¤¾à¤ªà¥‡ में दादी-सास से काम करवाना जरा à¤à¥€ अचà¥à¤›à¤¾ नहीं लगता था। जब कà¤à¥€ पतोहू बà¥à¥à¤¿à¤¯à¤¾ की काम करने में मदद करती तो उसकी सास उसे खूब डांटती। पतोहू जब कà¤à¥€ दादी-सास को रोते हà¥à¤ देखती तो उसे बहà¥à¤¤ दà¥à¤ƒà¤– होता था।
à¤à¤• बार बà¥à¥à¤¿à¤¯à¤¾ बीमार पड़ गई और परलोक सिधार गई। अब बà¥à¥à¤¿à¤¯à¤¾ की बहू पतोहू से ही घर का सारा काम कराती और उसके साथ अà¤à¤¦à¥à¤° वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° करती। जब पतोहू ने देखा कि उसकी सास दादी-सास की तरह ही उस पर à¤à¥€ अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤° कर रही है तो उसने बदला लेने की ठान ली। वह à¤à¥€ अपनी सास से वैसा वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° करने लगी जैसा वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° उसकी सास अपनी सास से करती थी। अब तो पतोहू अपनी सास को फूटी थाली में à¤à¥‹à¤œà¤¨ देने लगी। यह देखकर उसके पति और ससà¥à¤° ने बहà¥à¤¤ विरोध किया।
पतोहू ने अपने ससà¥à¤° और पति से कहा-' मेरी दादी-सास जितनी मेहनती और सीधी थी जब माताजी उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ फूटी थाली में à¤à¥‹à¤œà¤¨ देती थीं तब तà¥à¤® कà¥à¤› कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं बोले। उन पर होने वाले अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥‹à¤‚ को तà¥à¤® दोनों चà¥à¤ªà¤šà¤¾à¤ª देखते रहे। तब कà¥à¤¯à¤¾ तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ मà¥à¤– पर ताला पड़ गया था। यदि किसी ने माताजी की पैरवी की तो मà¥à¤ से बà¥à¤°à¤¾ कोई न होगा।'
पतोहू की बातें सà¥à¤¨à¤•à¤° उसका पति और ससà¥à¤° कà¥à¤› नहीं बोले। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने à¤à¥€ उसका विरोध करना छोड़ दिया। ससà¥à¤° को अपनी पतà¥à¤¨à¥€ के साथ अà¤à¤¦à¥à¤° वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° देखकर बहà¥à¤¤ गà¥à¤¸à¥à¤¸à¤¾ à¤à¥€ आता था। जब ससà¥à¤° पतोहू को डाà¤à¤Ÿà¤¨à¥‡ लगे तो वह उनके साथ à¤à¥€ अà¤à¤¦à¥à¤° वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° करने लगी। सास-ससà¥à¤° अकेले में बैठकर अपने सà¥à¤–-दà¥à¤ƒà¤– की बातें करते और यही सोचते थे कि जैसा करोगे वैसा à¤à¤°à¥‹à¤—े।
शिकà¥à¤·à¤¾:- इस कहानी से हमें यह शिकà¥à¤·à¤¾ मिलती है कि हमें सबके साथ अचà¥à¤›à¤¾ वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° करना चाहिठकà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि जैसा वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° हम दूसरों के साथ करेंगे वैसा ही वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° दूसरे लोग हमारे साथ करेंगे।
--साà¤à¤¾à¤° कहावतों की कहानियाà¤