नया पनà¥à¤¨à¤¾
जà¥à¤žà¤¾à¤¨ मंजरी अपने सà¥à¤¥à¤¾à¤¯à¥€ सà¥à¤¤à¤‚à¤
[ अगसà¥à¤¤ 2018 | लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ जैन द्वारा लिखित ]à¤à¤• बार की बात है| à¤à¤• गà¥à¤°à¥ सौ वरà¥à¤· के हà¥à¤ तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने तय किया कि अब योग समाधि लगाकर देह तà¥à¤¯à¤¾à¤—ना है| लेकिन इससे पहले आशà¥à¤°à¤® का उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤§à¤¿à¤•à¤¾à¤°à¥€ घोषित करना बाकी था| .....
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[ नवमà¥à¤¬à¤° 2016 | रूबीन खांन द्वारा लिखित ]आपने चिड़ियाघर में पिंजरों में बंद पशà¥-पकà¥à¤·à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को अवशà¥à¤¯ देखा होगा| लेकिन वन में सà¥à¤µà¤›à¤‚द विचरण करने वाले पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को सिरà¥à¤« टीवी पर .....
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[ नवमà¥à¤¬à¤° 2016 | लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ जैन द्वारा लिखित ]à¤à¤• किसान की अपने पड़ोसी से खूब जमकर लड़ाई हà¥à¤ˆà¥¤à¤¬à¤¾à¤¦ में जब उसे अपनी गलती का अहसास हà¥à¤† तो उसे खà¥à¤¦ पर शरà¥à¤® आई। वह इतना शरà¥à¤®à¤¸à¤¾à¤° हà¥à¤† की à¤à¤• साधॠके पास पहà¥à¤‚चा और .....
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[ मई 2015 | दिलीप कà¥à¤®à¤¾à¤° सिंह द्वारा लिखित ]      जरा ठहरो ! अधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤® की पाठशाला में धरà¥à¤® की à¤à¥‚मिका à¤à¤• उपकरण की तरह है। सà¤à¥€ उपासना पदà¥à¤§à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ मातà¥à¤° उस अनà¥à¤à¥‚ति तक पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ की सीढ़ियाठहैं। विचारकों .....
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[ मई 2015 | कलà¥à¤¯à¤¾à¤£à¥€ कबीर द्वारा लिखित ] à¤à¤• बूà¥à¤¾ इंसान समंदर के किनारे खड़ा था। उसने देखा कि समà¥à¤¦à¥à¤°à¥€ लहरों के साथ बहà¥à¤¤ सी मछलियाठरेत पर आ जा रही हैं , पर दà¥à¤ƒà¤– यह था कि लहरों के साथ वो .....
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[ अपà¥à¤°à¥ˆà¤² 2015 | कलà¥à¤¯à¤¾à¤£à¥€ कबीर द्वारा लिखित ]हमारे आस पास कई à¤à¤¸à¥‡ लोग मौजूद हैं जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ लगता है की वे जो बन सकते थे , नहीं बन पाये . दरसल वे सारी उमà¥à¤° अà¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ का रोना रटते रहे .दरअसल उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपनी .....
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[ मारà¥à¤š 2015 | कलà¥à¤¯à¤¾à¤£à¥€ कबीर द्वारा लिखित ]à¤à¤• किसान अपने घर में à¤à¤• चूहेदानी खरीद कर ले आया . चूहेदानी देखते ही उसके घर में रह रहा चूहा डर गया . à¤à¤¾à¤—ता हà¥à¤† वह मà¥à¤°à¥à¤—ी के पास गया और उसे अपना दà¥à¤–ड़ा .....
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[ फरवरी 2015 | डिमà¥à¤ªà¤² गौर द्वारा लिखित ]“नमन को पहाड़ी पर बाà¤à¤¸à¥à¤°à¥€ बजाते देख à¤à¥‹à¤šà¤•à¥à¤•à¥€ सी रह गयी माया | “ये कब आया शहर से, मà¥à¤à¥‡ तो पता ही नहीं चला..|” माया मन ही मन सोच रही थी कि बांसà¥à¤°à¥€ की मीठी धà¥à¤¨ ने .....
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[ फरवरी 2015 | कलà¥à¤¯à¤¾à¤£à¥€ कबीर द्वारा लिखित ]अपने जीवन में चल रही असफलता के दौर से तंग आकर à¤à¤• यà¥à¤µà¤• आतà¥à¤®à¤¹à¤¤à¥à¤¯à¤¾ करने जा रहा था |
जब वो गहरी खाई में कूदने जा रहा था तो रासà¥à¤¤à¥‡ से गà¥à¤œà¤° रहे à¤à¤• किसान की नज़र उस .....
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[ जनवरी 2015 | कलà¥à¤¯à¤¾à¤£à¥€ कबीर द्वारा लिखित ] यूठतो वकà¥à¤¤ à¤à¥€ à¤à¤• नदी की तरह है . जिस तरह नदी की बूà¤à¤¦à¥‹à¤‚ को à¤à¤• दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता उसी तरह वकà¥à¤¤ की लहर को à¤à¥€ दिन , हफà¥à¤¤à¥‡ और सालों में बाà¤à¤Ÿ कर नहीं .....
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[ दिसमà¥à¤¬à¤° 2014 | विशाल वरà¥à¤®à¤¾ लखनवी द्वारा लिखित ]“ à¤à¤¿à¤–ारी की पूà¤à¤œà¥€ â€
श............ आज तो बहà¥à¤¤ ठंड है! हाथ मलता हà¥à¤† मैं बैग लटकाये सà¥à¤¬à¤¹-सà¥à¤¬à¤¹ तैयार होकर कॉलेज के लिठनिकला तà¤à¥€ अचानक मेरी नज़र à¤à¤• बूढ़े आदमी पर .....
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[ नवमà¥à¤¬à¤° 2014 | कलà¥à¤¯à¤¾à¤£à¥€ कबीर द्वारा लिखित ][ बाल - दिवस पर विशेष ]
नेहरू जी ने कहा था कि बचà¥à¤šà¥‡ बगिया की कली की तरह होते हैं , इसलिठइनकी देखà¤à¤¾à¤² अचà¥à¤›à¥‡ तरीके से करनी चाहिठताकि ये बचà¥à¤šà¥‡ हमारे आने .....
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[ अकà¥à¤Ÿà¥‚बर 2014 | कलà¥à¤¯à¤¾à¤£à¥€ कबीर द्वारा लिखित ],,, बाज़ार जाना था . हम सà¤à¥€ तैयार हो रहे थे .. वो à¤à¥€ काफी खà¥à¤¶ था . à¤à¤• रौनक सी जाग उठती है उसके चेहरे पर जब शॉपिंग के लिठजाना होता है हमें .पर मैं जानती हूठ.....
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[ सितमà¥à¤¬à¤° 2014 | कलà¥à¤¯à¤¾à¤£à¥€ कबीर द्वारा लिखित ]बरसात के दिनों में शहर का मौसम à¤à¥€ अलग- अलग जगहों के लिठअलग- अलग चेहरे रखता है । कहीं धूप नज़र आती है तो कहीं छाà¤à¤µ । कहीं बादल .....
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[ सितमà¥à¤¬à¤° 2014 | शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¤à¥€ पदà¥à¤®à¤¾ मिशà¥à¤°à¤¾ द्वारा लिखित ]शिकà¥à¤·à¤¾ आज जीवन की अनिवारà¥à¤¯ आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ बन गई है.परिवरà¥à¤¤à¤¨ शील परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में शिकà¥à¤·à¤¾ ही जीवन की आधारशिला बन उसकी दशा दिशा निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ करती है. जà¥à¤žà¤¾à¤¨ के आà¤à¤¾à¤µ .....
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[ अगसà¥à¤¤ 2014 | कलà¥à¤¯à¤¾à¤£à¥€ कबीर द्वारा लिखित ]अचानक दरवाजा खà¥à¤²à¤¾ और à¤à¤• यà¥à¤µà¤• असà¥à¤ªà¤¤à¤¾à¤² के बिसà¥à¤¤à¤° संखà¥à¤¯à¤¾ 43 के पास लगà¤à¤— दौड़ते हà¥à¤ आया . .. /चेहरा बदहवास ,,किसी अनजाने à¤à¤¯ से आकà¥à¤°à¤¾à¤‚त ,, .....
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[ अगसà¥à¤¤ 2014 | पà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿ "अजà¥à¤žà¤¾à¤¤" द्वारा लिखित ]तू न जाने आसपास है, ख़à¥à¤¦à¤¾"....कितना खूबसूरत गीत है. उदासी के लमà¥à¤¹à¥‹ में किसी के à¤à¥€ दिल को à¤à¤•à¤à¥‹à¤° के रख देने की पूरी काबिलियत है, इसके .....
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[ जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ 2014 | कलà¥à¤¯à¤¾à¤£à¥€ कबीर द्वारा लिखित ]याद आता है बचपन और रेल - यातà¥à¤°à¤¾ का रोमांच . और साथ ही वो बचकानी ख़à¥à¤¶à¥€ à¤à¥€ जो यातà¥à¤°à¤¾ के दौरान रेल की खिड़कियों के पास बैठने और बाहर खà¥à¤²à¥‡ आकाश .....
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[ जून 2014 | मीतू धावरिया द्वारा लिखित ]वरà¥à¤· नाम कृति
1955 - माखनलाल चतà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦à¥€ - हिम तरंगिणी (कावà¥à¤¯)
1956 - वासà¥à¤¦à¥‡à¤µ शरण अगà¥à¤°à¤µà¤¾à¤² - पदà¥à¤®à¤¾à¤µà¤¤ संजीवनी (वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾)
1957 - .....
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[ जून 2014 | के. पी. अनमोल द्वारा लिखित ]यह पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ à¤à¤¾à¤°à¤¤ में उचà¥à¤šà¥ शिकà¥à¤·à¤¾ का सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ और विखà¥à¤¯à¤¾à¤¤ केनà¥à¤¦à¥à¤° था। महायान बौदà¥à¤§ धरà¥à¤® के इस शिकà¥à¤·à¤¾-केनà¥à¤¦à¥à¤° में हीनयान .....
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