अंक अक्टूबर 2014
अक्सर स्कूल आते-जाते उस गढ्ढे पर मेरी नजर पड़ ही जाती थी। हम जब भी उधर से गुजरते, तो वह एक बाधा-सा प्रतीत होता। घर से स्कूल की दूरी यही कोई किलोमीटर भर रही होगी। दोस्तों के साथ पैदल स्कूल जाने का आनन्द ही कुछ और था और आनन्द दुगुना तब ....
इस अंक में ...