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ज्ञान मंजरी अपने स्थायी स्तंभ


1. सौ में एक

[ अगस्त 2018 | लक्ष्मी जैन द्वारा लिखित ]
एक बार की बात है| एक गुरु सौ वर्ष के हुए तो उन्होंने तय किया कि अब योग समाधि लगाकर देह त्यागना है| लेकिन इससे पहले आश्रम का उत्तराधिकारी घोषित करना बाकी था| .....
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2. जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क

[ नवम्बर 2016 | रूबीन खांन द्वारा लिखित ]
आपने चिड़ियाघर में पिंजरों में बंद पशु-पक्षियों को अवश्य देखा होगा| लेकिन वन में स्वछंद विचरण करने वाले प्राणियों को सिर्फ टीवी पर .....
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3. शब्द और पंख

[ नवम्बर 2016 | लक्ष्मी जैन द्वारा लिखित ]
एक किसान की अपने पड़ोसी से खूब जमकर लड़ाई हुई।बाद में जब उसे अपनी गलती का अहसास हुआ तो उसे खुद पर शर्म आई। वह इतना शर्मसार हुआ की एक साधु के पास पहुंचा और .....
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4. अध्यात्म की पाठशाला में धर्म की भूमिका

[ मई 2015 | दिलीप कुमार सिंह द्वारा लिखित ]
           जरा ठहरो ! अध्यात्म की पाठशाला में धर्म की भूमिका एक उपकरण की तरह है। सभी उपासना पद्धतियाँ मात्र उस अनुभूति तक पहुँचने की सीढ़ियाँ हैं। विचारकों .....
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5. कुछ करें और अच्छा करें

[ मई 2015 | कल्याणी कबीर द्वारा लिखित ]
         à¤à¤• बूढ़ा इंसान समंदर के किनारे खड़ा था।  à¤‰à¤¸à¤¨à¥‡ देखा  à¤•à¤¿ समुद्री लहरों के साथ बहुत सी मछलियाँ रेत पर आ जा रही  à¤¹à¥ˆà¤‚ , पर दुःख यह था कि लहरों के साथ वो .....
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6. अपनी कीमत पहचानें आप

[ अप्रैल 2015 | कल्याणी कबीर द्वारा लिखित ]
हमारे आस पास कई ऐसे लोग मौजूद हैं जिन्हें लगता है की वे जो बन सकते थे , नहीं बन पाये . दरसल वे सारी उम्र  à¤…भावों का रोना रटते रहे  .दरअसल उन्होंने अपनी .....
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7. किसी भी समस्या की अनदेखी न करें

[ मार्च 2015 | कल्याणी कबीर द्वारा लिखित ]
एक किसान  à¤…पने  à¤˜à¤° में एक चूहेदानी   खरीद कर ले आया  . चूहेदानी देखते ही उसके घर में रह रहा चूहा डर गया . भागता हुआ वह मुर्गी के पास गया और उसे अपना  à¤¦à¥à¤–ड़ा .....
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8. कहानी - हरजाई

[ फरवरी 2015 | डिम्पल गौर द्वारा लिखित ]
“नमन  को पहाड़ी पर बाँसुरी बजाते देख भोचक्की सी रह गयी माया  | “ये कब आया शहर से, मुझे तो पता ही नहीं चला..|” माया मन ही मन सोच रही थी कि बांसुरी की मीठी धुन ने .....
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9. असफलता सिर्फ एक सीख है,न कि जीवन का अंत

[ फरवरी 2015 | कल्याणी कबीर द्वारा लिखित ]
अपने जीवन में चल रही असफलता के दौर से तंग आकर एक युवक आत्महत्या करने जा रहा था | जब वो गहरी खाई में कूदने जा रहा था तो रास्ते से गुजर रहे एक किसान की नज़र उस .....
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10. वक्त भी एक नदी की तरह है ,,,,,

[ जनवरी 2015 | कल्याणी कबीर द्वारा लिखित ]
 à¤¯à¥‚ँ तो वक्त भी एक नदी की तरह है . जिस तरह नदी की बूँदों को एक दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता उसी तरह वक्त की लहर को भी दिन , हफ्ते और सालों में बाँट कर नहीं .....
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11. भिखारी की पूँजी: रिपोर्ताज

[ दिसम्बर 2014 | विशाल वर्मा लखनवी द्वारा लिखित ]
“ भिखारी की पूँजी ” श............ आज तो बहुत ठंड है! हाथ मलता हुआ मैं बैग लटकाये सुबह-सुबह तैयार होकर कॉलेज के लिए निकला तभी अचानक मेरी नज़र एक बूढ़े आदमी पर .....
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12. बिखरता बालमन और बालपन

[ नवम्बर 2014 | कल्याणी कबीर द्वारा लिखित ]
[ बाल - दिवस पर विशेष ] नेहरू जी ने कहा था कि बच्चे बगिया की कली की तरह होते हैं , इसलिए इनकी देखभाल अच्छे तरीके से करनी चाहिए ताकि ये बच्चे हमारे आने .....
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13. नाराजगी अपनी जगह ,,और रिश्ते अपनी जगह

[ अक्टूबर 2014 | कल्याणी कबीर द्वारा लिखित ]
,,, बाज़ार  à¤œà¤¾à¤¨à¤¾  à¤¥à¤¾  . हम सभी तैयार हो रहे थे .. वो भी काफी खुश था  . एक रौनक  à¤¸à¥€ जाग उठती है  à¤‰à¤¸à¤•à¥‡ चेहरे पर जब शॉपिंग  à¤•à¥‡ लिए जाना होता  à¤¹à¥ˆ हमें .पर  à¤®à¥ˆà¤‚ जानती हूँ .....
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14. बारिश की बूंदें और भूरी आँखें

[ सितम्बर 2014 | कल्याणी कबीर द्वारा लिखित ]
बरसात के  à¤¦à¤¿à¤¨à¥‹à¤‚   में शहर  à¤•à¤¾  à¤®à¥Œà¤¸à¤®  à¤­à¥€ अलग-  à¤…लग  à¤œà¤—हों  à¤•à¥‡  à¤²à¤¿à¤  à¤…लग-  à¤…लग  à¤šà¥‡à¤¹à¤°à¥‡  à¤°à¤–ता  à¤¹à¥ˆ  à¥¤  à¤•à¤¹à¥€à¤‚  à¤§à¥‚प  à¤¨à¥›à¤°  à¤†à¤¤à¥€  à¤¹à¥ˆ  à¤¤à¥‹  à¤•à¤¹à¥€à¤‚ छाँव ।   कहीं   बादल .....
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15. शिक्षा का महत्त्व -आज के सन्दर्भ में

[ सितम्बर 2014 | श्रीमती पद्मा मिश्रा द्वारा लिखित ]
शिक्षा आज जीवन की अनिवार्य आवश्यकता बन गई है.परिवर्तन शील परिस्थितियों में शिक्षा ही जीवन की आधारशिला बन उसकी दशा दिशा निर्धारित करती है. ज्ञान के आभाव .....
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16. बिस्तर संख्या 43

[ अगस्त 2014 | कल्याणी कबीर द्वारा लिखित ]
अचानक दरवाजा  खुला  और एक युवक  अस्पताल के बिस्तर संख्या  43  के पास  लगभग दौड़ते हुए आया . .. /चेहरा बदहवास  ,,किसी  अनजाने भय  से आक्रांत ,, .....
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17. तू न जाने, आसपास है...ख़ुदा !

[ अगस्त 2014 | प्रीति "अज्ञात" द्वारा लिखित ]
तू न जाने आसपास है, ख़ुदा"....कितना खूबसूरत गीत है. उदासी के लम्हो में किसी के भी दिल को झकझोर के रख देने की पूरी काबिलियत है, इसके .....
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18. रेलगाड़ी छुक - छुक छुक - छुक

[ जुलाई 2014 | कल्याणी कबीर द्वारा लिखित ]
याद आता है  à¤¬à¤šà¤ªà¤¨ और रेल - यात्रा का रोमांच . और साथ ही वो  à¤¬à¤šà¤•à¤¾à¤¨à¥€ ख़ुशी भी जो यात्रा के दौरान रेल  à¤•à¥€ खिड़कियों  à¤•à¥‡ पास  à¤¬à¥ˆà¤ à¤¨à¥‡  à¤”र बाहर खुले आकाश .....
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19. साहित्य अकादमी पुरस्कार

[ जून 2014 | मीतू धावरिया द्वारा लिखित ]
वर्ष         नाम                  कृति 1955 - माखनलाल चतुर्वेदी   -  à¤¹à¤¿à¤® तरंगिणी (काव्य) 1956 - वासुदेव शरण अग्रवाल -  à¤ªà¤¦à¥à¤®à¤¾à¤µà¤¤ संजीवनी (व्याख्या) 1957 - .....
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20. नालंदा विश्वविद्यालय: एक नज़र में

[ जून 2014 | के. पी. अनमोल द्वारा लिखित ]
यह प्राचीन भारत में उच्च् शिक्षा का सर्वाधिक महत्वपूर्ण और विख्यात केन्द्र था। महायान बौद्ध धर्म के इस शिक्षा-केन्द्र में हीनयान .....
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इस अंक में ...