à¤à¤• बूà¥à¤¾ इंसान समंदर के किनारे खड़ा था। उसने देखा कि समà¥à¤¦à¥à¤°à¥€ लहरों के साथ बहà¥à¤¤ सी मछलियाठरेत पर आ जा रही हैं , पर दà¥à¤ƒà¤– यह था कि लहरों के साथ वो समंदर में लौट नहीं पा रही थीं और रेत पर ही दम तोड़ दे रही थीं । यह देख उस बूà¥à¥‡ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ से रहा नहीं गया। वह à¤à¤• à¤à¤• करके मछलियों को उठाने लगा और समंदर में फेंकने लगा। इस कà¥à¤°à¤® में वह सारी मछलियाठतो नहीं बचा पा रहा था पर उसने अपना पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ जारी रखा। तà¤à¥€ वहाठसे à¤à¤• नवयà¥à¤µà¤• गà¥à¤œà¤°à¤¾à¥¤ उसने बूà¥à¥‡ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ की हà¤à¤¸à¥€ उड़ाते हठकहा '' आप नाहक ही परेशान हो रहे हैं। इतनी सारी मछलियाठतो रेत पर ही दम तोड़ दे रही हैं। बूà¥à¥‡ ने कहा कि '' मैं जिस मछली को बचा पा रहा हूठ, उस मछली के लिठतो मैं महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ हूà¤à¥¤ à¤à¤²à¥‡ ही मैं सारी मछलियों को न बचा पाऊठपर जितनी à¤à¥€ मछलियों की जान मैं बचा सकता हूठ, जरूर बचाउà¤à¤—ा।" और उसने पà¥à¤¨: à¤à¤• - à¤à¤• करके मछलियों को उठाकर समंदर में फेंकना शà¥à¤°à¥‚ कर दिया।
मितà¥à¤°à¥‹à¤‚ ! कà¤à¥€ कà¤à¥€ à¤à¤¸à¤¾ à¤à¥€ होता है कि हम पूरी सफलता पाने की धà¥à¤¨ में रहते हैं और अगर à¤à¤¸à¤¾ संà¤à¤µ नज़र नहीं आता तो हम आंशिक पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ à¤à¥€ नहीं करते , आंशिक सफलता पाने के लिà¤à¥¤ यह हमारी अपरिपकà¥à¤µà¤¤à¤¾ को दरà¥à¤¶à¤¾à¤¤à¤¾ है। अब चाà¤à¤¦ का ही उदाहरण लीजिये, चाà¤à¤¦ सिरà¥à¤« पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ को ही नज़र नहीं आता , जब वह बिलकà¥à¤² गोल होता है बलà¥à¤•à¤¿ चाà¤à¤¦ अपने टेà¥à¥‡ - मेà¥à¥‡ रूप में à¤à¥€ हमारे साथ रात à¤à¤° रहता है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि वो देने में यकीन रखता है। अब देने की मातà¥à¤°à¤¾ कितनी à¤à¥€ हो , उसे कोई फरà¥à¤• नहीं पड़ता। ठीक उसी गिलहरी की तरह जो राम के लंका जाने के लिठपà¥à¤² बनाने हेतॠअपने बदन पर धूल चिपका कर लाती थी और पà¥à¤² के पास अपने शरीर को à¤à¤¾à¥œ कर अपनी सकारातà¥à¤®à¤• à¤à¥‚मिका निà¤à¤¾à¤¤à¥€ थी।
इसलिठजरà¥à¤°à¥€ है हमसे जो बन पड़े जितना बन पड़े , हम सही करें और अचà¥à¤›à¤¾ करें। ताकि हमारा नाम चà¥à¤ª बैठने वालों की सूची में ना आये बलà¥à¤•à¤¿ कà¥à¤› अचà¥à¤›à¤¾ और à¤à¤²à¤¾ करने वालों के नाम के साथ आये।