अचानक दरवाजा खà¥à¤²à¤¾ और à¤à¤• यà¥à¤µà¤• असà¥à¤ªà¤¤à¤¾à¤² के बिसà¥à¤¤à¤° संखà¥à¤¯à¤¾ 43 के पास लगà¤à¤— दौड़ते हà¥à¤ आया . .. /चेहरा बदहवास ,,किसी अनजाने à¤à¤¯ से आकà¥à¤°à¤¾à¤‚त ,,
उसके कपड़े चà¥à¤—ली कर रहे थे कि वो सीधे दफà¥à¤¤à¤° से ही असà¥à¤ªà¤¤à¤¾à¤² आ गया है . घर जाकर फà¥à¤°à¥‡à¤¶ होने और à¤à¥‹à¤œà¤¨ करने की à¤à¥€ जरà¥à¤°à¤¤ नहीं महसूस हà¥à¤ˆ थी उसे ,
वो सà¥à¤Ÿà¥‚ल खींच कर बैठगया अपनी माठके चेहरे के पास . ,,माठके सर को सहलाया , चेहरे को थपथपाया ,, हà¥à¤°à¤¦à¤¯ के पास हौले से हाथ रखकर à¤à¤•à¤à¥‹à¤°à¤•à¤° माठको जगाने की नाकाम कोशिश à¤à¥€ की उसने ,
, पर माठकी आà¤à¤–ें न खà¥à¤²à¥€ ,,कोई हरकत नहीं हà¥à¤ˆ बदन में .यह देख दरà¥à¤¦ और अशà¥à¤• का समंदर लहरा उठा बेटे की आà¤à¤–ों में . वो उठखड़ा हà¥à¤† . अपनी बैचेनी को दबाने या आस - पास के लोगों से छà¥à¤ªà¤¾à¤¨à¥‡ के लिठटहलने लगा माठके बिसà¥à¤¤à¤° के ही इरà¥à¤¦- गिरà¥à¤¦ .../
बचà¥à¤šà¤¾ होता तो चीखता ,,चिलà¥à¤²à¤¾à¤¤à¤¾ ,, कहता -- '' माठउठो ,, ऑंखें खोलो मà¥à¤à¥‡ बात करनी है '' ..पर ...बड़े होने के अपने नà¥à¥˜à¤¸à¤¾à¤¨ होते हैं , à¤à¤• उमà¥à¤° के बाद हम हर दरà¥à¤¦ को जà¥à¤¬à¤¾à¤‚ नहीं दे सकते /
अपनी लाचारी और बेबसी को छà¥à¤ªà¤¾à¤¨à¥‡ की à¤à¤°à¤¸à¤• कोशिश की उसने . पर सचà¥à¤šà¥‡ रिशà¥à¤¤à¥‹à¤‚ की तड़प कहाठछà¥à¤ªà¤¤à¥€ है .../बैठगया वो माठके पास .. माठके चेहरे की बिंदी को ठीक किया ,, हाथों को सहलाने लगा जो शायद '' सलाइन वाटर '' चढाने के कà¥à¤°à¤® में सूज गई थी ,,,,//
तकता रहा काफी देर तक माठके चेहरे को और बेचारी माठ.. बेटे की इस बेबस कोशिश से बेखबर थी या शायद '' कोमा '' में //
बचपन में बेटे की à¤à¤• आवाज़ से जो गहरी नींद से जाग जाती थी आज मृतà¥à¤¯à¥à¤¶à¤¯à¥à¤¯à¤¾ पर पड़ी वही माठबेटे के दरà¥à¤¦ के चीतà¥à¤•à¤¾à¤° से बिलकà¥à¤² ही अनà¤à¤¿à¤œà¥à¤ž थी ,, /
सच है मृतà¥à¤¯à¥ से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ कड़वी हक़ीकत कà¥à¤› à¤à¥€ नहीं ................ //
कà¥à¤› मरीजों के पास मौत का इंतज़ार करने से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ यà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¸à¤‚गत और तरà¥à¤•à¤¸à¤‚गत कà¥à¤› होता à¤à¥€ नहीं .... /
पर उनके अपनों के लिठयह इंतज़ार मौत से à¤à¥€ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ दरà¥à¤¦à¤¨à¤¾à¤• और तकलीफदेह होता है ..........//