इस लंबी सà¥à¤°à¤‚ग में, मैं
उस पर अंधेरी सी à¤à¥€ है ये
ना कोई और आता दिखता, ना जाता
ना मेरा कोई सारथि, ना साथी
ना खड़कता इस बियाबां में पतà¥à¤¤à¤¾
ना बलà¥à¤¬ की टिमटिम, ना सूरज की सतà¥à¤¤à¤¾
जाने इसमे कहां आके अटका हूà¤
कितना बाक़ी है, कितना चल लिया हूà¤,
अनंत सिरà¥à¤«à¤¼ à¤à¤• लंबा अंक है, है ना?
मैं अपने पग बढ़ा, अनंत तक गिनता चला
मैं चलता हूà¤, सà¥à¤¨à¥‹ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ देना
उस पार सà¥à¤°à¤‚ग के, तà¥à¤® खड़ी मिलना