मानव मन सदियों से जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¤¾à¤“ं की खोज में रहा है। वह अननà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¥‹à¤‚ की बौछारों से à¤à¥€à¤—ता रहा है,जो चिरंतन आज à¤à¥€ जारी है। वह हर जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¤¾ में सà¥à¤µà¤¯à¤‚ की संतà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ को तलाशता रहा है। उसके हर समाधान में अतृपà¥à¤¤ रह जाने वाली तीकà¥à¤·à¥à¤£ मेदà¥à¤¯à¤¾ ....